यह कैसा है घोटाला
कि चाबी मे है ताला
कमरे के अंदर घर है
और गाय में है गोशाला।

दातों के अंदर मुंह है
और सब्जी में है थाली
रूई के अंदर तकिया
और चाय के अंदर प्याली।

टोपी के ऊपर सर है।
और कार के ऊपर रस्ता
ऐनक पे लगी हैं आंखें
कापी किताब में बस्ता।

सर के बल सभी खड़े हैं
पैरों से सूंध रहे हैं
घुटनों में भूख लगी है
और टखने ऊंघ रहे हैं।

मकड़ी में भागे जाला
कीचड़ में बहता नाला
कुछ भी न समझ में आये
यह कैसा है घोटाला।

इस घोटाले को टालें
चाबी तालें में डालें
कमरे को घर में लायें
गोशाला में गाय को पालें।

मुंह में दांत लगाये
सब्जी से भर लें थाली
रूई तकिए में ठूंसें
चाय से भर लें प्याली।

टोपी को सर पर पहनें
रस्ते पर कार चलायें
आंखों पे लगायें ऐनक
बस्ते में किताबे लायें।

पैरों पे खड़े हो जायें
और नाक से खुशबू सूंघें
भर पेट उड़ाये खाना
और आंख मूंद के ऊंघे।

जाले में मकड़ी भागे
कीचड़ नाले में बहता
अब सब समझ में आये
कुछ घोटाला ना रहता।

बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ
Hindi poem for children by Safdar Hashmi; Illustrations by Sresh B. V. ; Published by SAHMAT.

206 words | 6 minutes
Readability:
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Filed under: hindi poems
Tags: #hindi poems for kids, #बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ

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